Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2024

Sri Ramachandra KripAlu

श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन हरण भव-भय दारुणम् । नव-कंज-लोचन कंज-मुख कर-कंज पद-कंजारुणं॥१॥ कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरम् । पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुता वरम् ॥ भज दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनम् । रघु नन्द आनंद कंद कोसल-चंद दशरथ नन्दनम् ॥ शिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् । आजानु भुज शर चाप धर सङ्ग्राम जित खर दूषणम् ॥ इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष-मुनि मन रञ्जनम् । मम हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलदल-गंजनं॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन हरण भव-भय दारुणम् । नव-कंज-लोचन कंज-मुख कर-कंज पद-कंजारुणं॥१॥ Shri Ramachandra krupAlu bhajamana - hey mind, meditate upon Sri Ramachandra, who is the most compassionate (krupAlu).  haraNa - bhava - bhaya - dAruNam - He removes (haraNa) the harsh (dAruNam) fears of this material existence (bhava-bhaya) - the fear of rebirth, death, disease, old-age, and the tApatraya - the troubles of the mind, body and self, of this world and the worlds beyond! nava-kanja-lochana - He has the eyes like that of a newly blosso...